घेंघा रोग अर्थात गॉइटर के कारण
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घेंघा अर्थात गॉइटर, जिसे गण्डमाला या गलगण्ड के नाम से जाना जाता है। इसमें गले में टेंटुये से नीचे स्थित थायराइड ग्रंथि में वृद्धि हो जाती है, और गला फूल जाता है। घेंघा रोग होने पर व्यक्ति को दर्द नहीं होता, लेकिन स्थिति गम्भीर होने पर, रोगी को भोजन निगलने और साँस लेने में परेशानी हो सकती है। यदि घेंघे की स्थिति ज्यादा खराब हो जाए या घेंघा थायरायड में विषाक्त गाँठों की वजह से उत्पन्न हुआ है तो इससे गले का कैंसर होने की सम्भावना भी रहती है। इस रोग से बचाव और रोकथाम के लिए इसके होने के कारणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरुरी होता है।
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कारण
घेंघा रोग होने का कारण, थायराइड ग्रंथि में बनने वाले थायराइड हॉर्मोन का अत्यधिक उत्पादन, जिसे हाइपर्थाइरॉइडिज़म कहा जाता है, होता है। इतना ही नहीं, कि यह रोग सिर्फ हार्मोन की अधिकता के कारण ही होता है, बल्कि यह हार्मोन के कम स्तर (हाइपोथायरायडिज्म) के कारण भी हो सकता है। कुछ मामलों में, घेंघा रोग तब भी हो जाता है, जब पियूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैंड) थायराइड की वृद्धि को प्रेरित करती है। इस स्थिति में, थायराइड हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है। कभी-कभी थायराइड ग्रंथि में होने वाली वृद्धि की वजह से सामान्य मात्रा में, थायराइड हॉर्मोन के उत्पादन के साथ-साथ, थायराइड में कई गाँठदार ग्रंथियां बन जाती हैं, हालाँकि ये विषैली नहीं होती।
एक दूसरी प्रकार की थायराइड वृद्धि होती है, जिसे छिटपुट गण्डमाला (sporadic goiter) कहते हैं। यह वृद्धि तब होती है, जब हमारा खान-पान इस प्रकार का होता है, जिसमें हेंगे रोग को बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में होते हैं। इस प्रकार के भोजन में निम्नलिखित चींजें शामिल हैं- सोयाबीन, शलजम, गोभी, आड़ू, मूंगफली, और पालक आदि। व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा मात्रा में इस प्रकार के खाद्य पदार्थ घेंघा रोग होने की सम्भावना को बढ़ा देते हैं। ये खाद्य पदार्थ थायराइड की आयोडाइड प्रक्रिया (आयोडीन उपयोग की प्रक्रिया) की क्षमता में गड़बड़ी पैदा कर देते हैं, इससे थायराइड हॉर्मोन बनना कम हो जाता है।
यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि घेंघा रोग को सबसे सामान्य कारण भोजन या पानी में आयोडीन की कमी होना है। यही कारण है कि व्यक्ति को आयोडीन युक्त नमक उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
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